ऐसी अक्षरे

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मंदार शिंदे
Mandar Shinde

Thursday, May 31, 2012

भारत बंद

दुकान रख्खे बंद,
वो ही आज अकलमंद है
सुनिए सुनिए आज सारा भारत बंद है

पेट्रोल बढी, गैस भी बढी,
तो फिर तनखा कहाँ चंद है
सुनिए सुनिए आज सारा भारत बंद है

बसें जलाई, शीशे तोडे,
अपने ही लोगों से ये कैसी जंग है
सुनिए सुनिए आज सारा भारत बंद है

देश का धंदा बंद कर डाला,
ये देशप्रेम का कौनसा रंग है
सुनिए सुनिए आज सारा भारत बंद है

नारे लगाओ, रैली निकालो,
किस जश्‍न में 'जनता' दंग है
सुनिए सुनिए आज सारा भारत बंद है

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Wednesday, May 2, 2012

छोडो भी...

शरारत किसने की मैंने या तूने
छोडो भी नजरें ये सब जानती हैं

छुपाए राज कितने सीने में
छोडो भी हवाएँ सब जानती हैं

वफादारी की खाई कसमें कितनी
छोडो भी हसिनाएँ कहाँ मानती हैं

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