ऐसी अक्षरे

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मंदार शिंदे
Mandar Shinde

Friday, October 21, 2011

खुश

औरों की मुस्कुराहट देख हम खुश रहते हैं,
आईना देख खुद पे हँसने से यहीं अच्छा।

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