ऐसी अक्षरे

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मंदार शिंदे
Mandar Shinde

Friday, October 21, 2011

जिंदगी

तू कर ले चाहे जितने सितम ऐ जिंदगी,
हमने कब परवाह की थी जो आज करेंगे।

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