साकी ने फिर से मेरा जाम भर दिया
तुम जैसा कोई नहीं इस जहाँ में
सुबह को तेरी जुल्फ ने शाम कर दिया
मेहफिल में बार-बार इधर देखा किये
आँखों के जझीरों को मेरे नाम कर दिया
होश बेखबर से हुये उनके बगैर
वो जो हमसे केह ना सके, दिलने केह दिया
(गुँचा = कळी; जझीरा = बेट)
- रॉकी खन्ना / मोहित चौहान
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