ऐसी अक्षरे

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मंदार शिंदे
Mandar Shinde

Sunday, November 30, 2025

Zinda Ho Tum - Piyush Mishra

 



ज़िन्दा हो हाँ तुम कोई शक नहीं

साँस लेते हुए देखा मैंने भी है

हाथ ओ' पैरों और जिस्म को हरकतें

ख़ूब देते हुए देखा मैंने भी है...

अब भले ही ये करते हुए होंठ तुम

दर्द सहते हुए सख़्त सी लेते हो

अब है इतना भी कम क्या तुम्हारे लिए

ख़ूब अपनी समझ में तो जी लेते हो...

~ पीयूष मिश्रा



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