फिर ले आया दिल मजबूर, क्या कीजे
रास न आया, रहना दूर, क्या कीजे
दिल कह रहा, उसे मकम्मल, कर भी आओ
वो जो अधूरी सी, बात बाकी है
वो जो अधूरी सी, याद बाकी है
करते हैं हम, आज कबूल, क्या कीजे
हो गयी थी, हमसे जो भूल, क्या कीजे
दिल कह रहा, उसे मयस्सर, कर भी आओ
वो जो दबी सी, आस बाकी है
वो जो दबी सी, आंच बाकी है
किस्मत को है, यह मंजूर, क्या कीजे
मिलते रहें हम, बादस्तूर, क्या कीजे
दिल कह रहा, उसे मुसलसल, कर भी आओ
वो जो रुकी सी, राह बाकी है
वो जो रुकी सी, चाह बाकी है
(मकम्मल= पूर्ण; मयस्सर= उपलब्ध; बादस्तूर= बेकायदा; मुसलसल= अविरत/अखंड चालू)
स्वानंद किरकिरे/ सईद कादरी/ नीलेश मिश्रा
बर्फी (२०१२)
ऐसी अक्षरे
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