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मंदार शिंदे
Mandar Shinde

Sunday, June 13, 2010

पलभरकी जिंदगी

खुशियाँ पलभरकी, फिर गम है उम्रभर;
कौन जानता है लेकिन, पलभरकी ही तो है जिंदगी...

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